Sunday, 8 September 2013

KHAZANA

एक मिनी नज़्म आपकी सेवा में पेश है - आपकी प्रतिक्रिया की अपेक्षा है।
--------------- ख़ज़ाना ---------------------
ख़ज़ाना गाँव में मेरे गड़ा है, क्या किया जाए।
समय के सामने झुकना पड़ा है, क्या किया जाए।
मेरे बेटों ने छोड़ा गाँव सर्विस और बिज़नेस में,
यहाँ हर खेत अब बंजर पड़ा है, क्या किया जाए।
निकल जाती है सारी आय रहने और खाने में,
तक़ाज़ा बीज का आकर पड़ा है, क्या किया जाए।
पढ़ाई यूँ तो स्कुलों में बिल्कुल मुफ़्त है लेकिन,
जो मिड-डे मील में विष आ पड़ा है, क्या किया जाए।
बंधा बैठा अपाहिज झोपड़ी से और खेतों से ,
सफ़र बैसाखियाँ लेकर खड़ा है, क्या किया जाए।
--- वी. सी. राय 'नया'