दोस्तों ! होली तो आ ही गई। सबको शुभकामनाओं के साथ सादर प्रस्तुत है -
---------- एक होली ऐसी भी ------------
रंग होली का तेरे गालों पे आया होता।
मैंने गर नग़मा मोहब्बत का सुनाया होता।
हाथ अगर मैंने तेरी सिम्त बढ़ाया होता।
तूने रुख़ झट से हथेली में छिपाया होता।
तेरी आँखों में दिवाली सी चमकने लगती,
मेरे आने की ख़बर कोई जो लाया होता।
मुझको भी होली पे दो दिन की तो छुट्टी मिलती,
डिग्रियों ने जो कहीं काम दिलाया होता।
आज महफ़िल में तो तू झूम के नाची होती,
मेरी ग़ज़लों ने 'नया' रंग जमाया होता।
--- वी . सी . राय 'नया'
---------- एक होली ऐसी भी ------------
रंग होली का तेरे गालों पे आया होता।
मैंने गर नग़मा मोहब्बत का सुनाया होता।
हाथ अगर मैंने तेरी सिम्त बढ़ाया होता।
तूने रुख़ झट से हथेली में छिपाया होता।
तेरी आँखों में दिवाली सी चमकने लगती,
मेरे आने की ख़बर कोई जो लाया होता।
मुझको भी होली पे दो दिन की तो छुट्टी मिलती,
डिग्रियों ने जो कहीं काम दिलाया होता।
आज महफ़िल में तो तू झूम के नाची होती,
मेरी ग़ज़लों ने 'नया' रंग जमाया होता।
--- वी . सी . राय 'नया'