छोटी बहर में चार मतले व एक शेर की ग़ज़ल देख कर कृपया सुझाव / प्रतिक्रिया व्यक्त करें -
----------- ग़ज़ल ----------
क्या हूँ, क्यों हूँ, किससे पूछूँ ?
ज्ञानी इतना किसको मानूँ ?
मंज़िल न दिखे, चलता जाऊँ ?
आख़िर कबतक मन भरमाऊँ ?
बेहतर होगा तुझको सोचूँ।
मानूँ तुझको, तुझको समझूँ।
सरबस अपना तुझको सौंपूँ।
तुझमे घुलमिल सब झुठलाऊँ।
झूट है सब, सच केवल तू है,
ख़ुद को 'नया' कैसे समझाऊँ।
--- वी. सी. राय 'नया'
हुमा जी ! कृपया इन शेरों की बहर चेक करके राय दें। मेरा 'तक्ती ' करना भी देख कर ग़लती बताएं -
२ २ २ २ २ २ २ २ (फ़े लुन x ४ )
मं ज़िल न दि खे, चल ता जा ऊँ ?
आ ख़िर कब तक मन भर मा ऊँ ?
सब झू ट ह सच के वल तू है,
ख़ुद कु न या कै से सम झा ऊँ।
Ham Tum में शरद तैलंग जी की इस ग़ज़ल पर टिपण्णी भी देख लीजियेगा। पूरी ग़ज़ल है -
क्या हूँ, क्यों हूँ, किससे पूछूँ ?
ज्ञानी इतना किसको मानूँ ?
मंज़िल न दिखे, चलता जाऊँ ?
आख़िर कबतक मन भरमाऊँ ?
बेहतर होगा तुझको सोचूँ।
मानूँ तुझको, तुझको समझूँ।
सरबस अपना तुझको सौंपूँ।
तुझमे घुलमिल सब झुठलाऊँ।
सब झूट है, सच केवल तू है,
ख़ुद को 'नया' कैसे समझाऊँ।
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----------- ग़ज़ल ----------
क्या हूँ, क्यों हूँ, किससे पूछूँ ?
ज्ञानी इतना किसको मानूँ ?
मंज़िल न दिखे, चलता जाऊँ ?
आख़िर कबतक मन भरमाऊँ ?
बेहतर होगा तुझको सोचूँ।
मानूँ तुझको, तुझको समझूँ।
सरबस अपना तुझको सौंपूँ।
तुझमे घुलमिल सब झुठलाऊँ।
झूट है सब, सच केवल तू है,
ख़ुद को 'नया' कैसे समझाऊँ।
--- वी. सी. राय 'नया'
हुमा जी ! कृपया इन शेरों की बहर चेक करके राय दें। मेरा 'तक्ती ' करना भी देख कर ग़लती बताएं -
२ २ २ २ २ २ २ २ (फ़े लुन x ४ )
मं ज़िल न दि खे, चल ता जा ऊँ ?
आ ख़िर कब तक मन भर मा ऊँ ?
सब झू ट ह सच के वल तू है,
ख़ुद कु न या कै से सम झा ऊँ।
Ham Tum में शरद तैलंग जी की इस ग़ज़ल पर टिपण्णी भी देख लीजियेगा। पूरी ग़ज़ल है -
क्या हूँ, क्यों हूँ, किससे पूछूँ ?
ज्ञानी इतना किसको मानूँ ?
मंज़िल न दिखे, चलता जाऊँ ?
आख़िर कबतक मन भरमाऊँ ?
बेहतर होगा तुझको सोचूँ।
मानूँ तुझको, तुझको समझूँ।
सरबस अपना तुझको सौंपूँ।
तुझमे घुलमिल सब झुठलाऊँ।
सब झूट है, सच केवल तू है,
ख़ुद को 'नया' कैसे समझाऊँ।
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