FB के मित्रो ! एकदम ताज़ा ग़ज़ल देखिये। इसमें 6 मतले व 1 शेर है और हर मतले का पहला मिसरा common है। पिछले 50 वर्षों की कुछ राजनीतिक घटनाओं की याद आये तो दाद दीजियेगा।
-------------------- ग़ज़ल --------------------
हमने अपनी आँखों से ऐसा भी ज़माना देखा है।
रामराज्य का सपना औ' उसका मिट जाना देखा है।
हमने अपनी आँखों से ऐसा भी ज़माना देखा है।
एक बैल का गैया, इक बछड़ा बन जाना देखा है।
हमने अपनी आँखों से ऐसा भी ज़माना देखा है।
वरद हस्त का इधर सभी ने चपत लगाना देखा है।
हमने अपनी आँखों से ऐसा भी ज़माना देखा है।
कीचड़ से खिल कमल का कीचड़ में सन जाना देखा है।
हमने अपनी आँखों से ऐसा भी ज़माना देखा है।
पशु का चारा चरवाहों का खा के पचाना देखा है।
हमने अपनी आँखों से ऐसा भी ज़माना देखा है।
आज सियासी हवा में लालटेन का बुझ जाना देखा है।
हमने अपनी आँखों से ऐसा भी ज़माना देखा है।
साइकिल से टकरा कर हाथी का गिर जाना देखा है।
गर्दन ऊँची करके अकड़े या कोई भी करवट ले,
पर्वत ले नीचे हमने हर ऊँट का आना देखा है।
--- वी. सी. राय 'नया'
-------------------- ग़ज़ल --------------------
हमने अपनी आँखों से ऐसा भी ज़माना देखा है।
रामराज्य का सपना औ' उसका मिट जाना देखा है।
हमने अपनी आँखों से ऐसा भी ज़माना देखा है।
एक बैल का गैया, इक बछड़ा बन जाना देखा है।
हमने अपनी आँखों से ऐसा भी ज़माना देखा है।
वरद हस्त का इधर सभी ने चपत लगाना देखा है।
हमने अपनी आँखों से ऐसा भी ज़माना देखा है।
कीचड़ से खिल कमल का कीचड़ में सन जाना देखा है।
हमने अपनी आँखों से ऐसा भी ज़माना देखा है।
पशु का चारा चरवाहों का खा के पचाना देखा है।
हमने अपनी आँखों से ऐसा भी ज़माना देखा है।
आज सियासी हवा में लालटेन का बुझ जाना देखा है।
हमने अपनी आँखों से ऐसा भी ज़माना देखा है।
साइकिल से टकरा कर हाथी का गिर जाना देखा है।
गर्दन ऊँची करके अकड़े या कोई भी करवट ले,
पर्वत ले नीचे हमने हर ऊँट का आना देखा है।
--- वी. सी. राय 'नया'
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