Monday, 14 October 2013

KAAM SE PYAR

--- एक मुसल्सल ग़ज़ल ---

जिसको भी काम  से प्यार है।
ये समझ लो समझदार है।
प्रेम भी उपजा है काम से,
काम से ही ये संसार है।
काम का देव भी एक है,
रति से जिसको बहुत प्यार है।
बिन प्रिय भस्म शिव ने किया,
संयम की क्रोध से हार है।
क्रोध संसार का शत्रु है,
दिख चूका ये कई बार है।
क्रोध को भी जो बस में करे,
ऐसा बलवान बस प्यार है।
काम का दास यदि बन गया,
प्यार बस नाम का प्यार है।
प्रेम है नाम जिसका 'नया',
सबको जोड़े वो उदगार है।
--- वी. सी. राय 'नया'

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