FB के मित्रो ! एक ग़ज़ल देखिये - आशा है पसंद आयेगी ->
----------------- ग़ज़ल --------------------
पूछूँ मैं इक सवाल बताओगे यार क्या ?
होने लगा है तुमको भी कुछ मुझसे प्यार क्या ?
अब फिर पिन्हाएगा कोई फूलों के हार क्या ?
फूलों से जैसे ज़ख्म मिले देंगे ख़ार क्या ?
मायूस है ख़िजाँ से तो ख़ुशबू को याद कर ,
आती नहीं पलट के चमन में बहार क्या ?
देने को लोन मेले लगे हैं यहाँ - वहाँ ,
कुछ सब्र मिल सकेगा कहीं से उधार क्या ?
दरिया ये आग का है बचाए ख़ुदा उसे ,
कर लूँ मैं उसके हिस्से का भी सारा प्यार क्या ?
करता नहीं है कोई भी अब तो रफ़ू का काम ,
दामन मेरा रहेगा युँही तार - तार क्या ?
दिल पर नहीं जो ज़ोर कोई क्या 'नया' हुआ ,
दिल पर कभी किसी को रहा अख्तियार क्या ?
---- वी . सी . राय 'नया'
----------------- ग़ज़ल --------------------
पूछूँ मैं इक सवाल बताओगे यार क्या ?
होने लगा है तुमको भी कुछ मुझसे प्यार क्या ?
अब फिर पिन्हाएगा कोई फूलों के हार क्या ?
फूलों से जैसे ज़ख्म मिले देंगे ख़ार क्या ?
मायूस है ख़िजाँ से तो ख़ुशबू को याद कर ,
आती नहीं पलट के चमन में बहार क्या ?
देने को लोन मेले लगे हैं यहाँ - वहाँ ,
कुछ सब्र मिल सकेगा कहीं से उधार क्या ?
दरिया ये आग का है बचाए ख़ुदा उसे ,
कर लूँ मैं उसके हिस्से का भी सारा प्यार क्या ?
करता नहीं है कोई भी अब तो रफ़ू का काम ,
दामन मेरा रहेगा युँही तार - तार क्या ?
दिल पर नहीं जो ज़ोर कोई क्या 'नया' हुआ ,
दिल पर कभी किसी को रहा अख्तियार क्या ?
---- वी . सी . राय 'नया'
No comments:
Post a Comment