Thursday, 11 October 2012

YAAR KYA ?

FB के मित्रो ! एक ग़ज़ल देखिये - आशा है पसंद आयेगी ->
----------------- ग़ज़ल --------------------
पूछूँ  मैं इक सवाल बताओगे यार क्या ?
होने लगा है तुमको भी कुछ मुझसे प्यार क्या ?
अब फिर पिन्हाएगा कोई फूलों के हार  क्या ?
फूलों से जैसे  ज़ख्म मिले देंगे ख़ार  क्या ?
मायूस है ख़िजाँ  से तो ख़ुशबू को याद कर ,
आती नहीं  पलट के चमन में बहार क्या ?
देने को लोन मेले लगे  हैं   यहाँ - वहाँ ,
कुछ सब्र मिल सकेगा कहीं से उधार क्या ?
दरिया ये आग का है बचाए ख़ुदा उसे ,
कर लूँ मैं उसके हिस्से का भी सारा प्यार क्या ?
करता नहीं है कोई भी अब तो रफ़ू का काम ,
दामन  मेरा रहेगा युँही  तार - तार  क्या ?
दिल पर नहीं जो ज़ोर कोई  क्या 'नया' हुआ ,
दिल पर कभी किसी को रहा अख्तियार  क्या ?
---- वी . सी . राय 'नया'

No comments:

Post a Comment