Monday 24 September 2012

Jam dhalta gaya


FB के दोस्तों के लिए एक और ग़ज़ल पेश कर रहा हूँ -
-------------- ग़ज़ल --------------
रात ढलती गई जाम  ढलता गया।
रफ़्ता-रफ़्ता अँधेरा भी छटता गया।
मैं तेरे इश्क़ में डूबता ही गया।
और तेरा इश्क़ परवान चढ़ता गया।
उसको अपना बनाने की कोशिश में ही,
रफ़्ता-रफ़्ता मैं उसका ही बनता गया।
जो सितारा जबीं पर तेरी जँच सके,
ढूँढते - ढूँढते मैं तो गिनता गया।
होंठ सूखे रहे, प्यास बढ़ती गई ,
जाम छलका नहीं सिर्फ़ छलता गया।
नींद आती नहीं, याद जाती नहीं,
भोर का स्वप्न सपना ही बनता गया।
दर्द पीते गए, ज़ख्म सीते गए ,
रोज़ ही इक 'नया' ज़ख्म लगता गया।
---- वी. सी. राय 'नया'

Wednesday 19 September 2012

BAITHA

FB के दोस्तों ! एक ग़ज़ल छोटी बह्र में देखिए - 
--------- ग़ज़ल ---------
तेरे दर पर मै क्या बैठा।
जिसने देखा वो आ बैठा।
आँखें उनकी आईना हैं,
जिसने झाँका वो जा बैठा।
मैंने टेर पे टेर लगाई,
सुनता रहा वो बैठा-बैठा।
लाख संभल कर पाँव बढ़ाए,
फिर भी दिल ठोकर खा बैठा।
दिल ने उस की आँख को परखा,  
और निशाने पर जा बैठा।
उसने ही दिल अक्सर तोड़ा,
जिसके सँग मै उट्ठा-बैठा।
गीत 'नया' तेरी महफ़िल में,
मै तो तेरा ही गा बैठा।
--- वी. सी. राय 'नया'

Monday 17 September 2012

Bolo N Bolo

हम-तुम  के दोस्तों! बोलो न बोलो ग़ज़ल का  नया रूप देख लीजिये - 
----------------- ग़ज़ल -------------------
मैं पुकारूँगा तुम्हे हर श्वास में बोलो न बोलो।
जानता हूँ तुम ही मेरे पास में बोलो न बोलो।
हो न हो भूखा तुम्हारे द्वार पे बैठा है कोई,
बाल निकला है तुम्हारे ग्रास में बोलो न बोलो।
कहकहों में उड़ न पाएगी कभी मेरी कहानी,
बस गई हर एक के एहसास में बोलो न बोलो।
राम की पूजा तो की नानक ने काबा ने दिखाया,
सत्य केवल है अटल विश्वास में बोलो न बोलो।
ज़िन्दगी को इक 'नया' सन्दर्भ देती हैं हवाएँ,
बोलता हर अंग है मधुमास में बोलो न बोलो।
---- वी. सी. राय 'नया'


मुख़बिरी उसके इरादों की करेगा घूम कर अब,
सैटलाइट उसके ही आकाश में बोलो न बोलो।

Sunday 9 September 2012

GHAZAL - AAM HUA HAI

एकदम ताज़ा  -
------- तरही ग़ज़ल -------
बज़्म में क़त्लेआम हुआ है।
परवानों में नाम हुआ है।।
रौशन चेहरा शम्मे महफ़िल,
साग़र, मीना, जाम हुआ है।
फूलों से हैं ज़ख़्मी-ज़ख़्मी,
खार तो बस बदनाम हुआ है।
हम तो सीधी राह चले हैं,
भाग्य-विधाता 'वाम' हुआ है।
अज़मत उनके नाम की देखो,
नाम लिया, आराम हुआ है।
उम्र का सूरज भी ढलता है,
इल्म मुझे हर शाम हुआ है।
दर्द ने दिल का साथ न छोड़ा,
हरसू 'नया' इल्जाम हुआ है।
--- वी. सी. राय 'नया'
BAZM ME QATLE-AM HUA HAI.
PARWANOn MEn NAM HUA HAI.
ROSHAN CHEHRA SHAMME MEHFIL,
SAGhAR MEENA JAAM HUA HAI.
PHULOn SE HAIn ZAKHMI-ZAKHMI,
KHAR TO BAS BADNAM HUA HAI.
HAM TO SEEDHI RAAH CHALE HAIn,
BHAGYA-VIDHATA 'VAM' HUA HAI.
AZMAT UNKE NAM KI DEKHO,
NAM LIYA, AARAM HUA HAI.
UMRA KA SURAJ BHI DHALTA HAI,
ILM MUJHE HAR SHAM HUA HAI.
DARD NE DIL KA SATH Na CHHODA,
HARSU 'NAYA' ILZAM HUA HAI.
--- V. C. Rai 'Naya'

अरे हुज़ूर ! ज़ायका बदलने के लिए दो मुक्तक भी देख लीजिये -
ख़ास भी देखो आम हुआ है।
आम का खाना आम हुआ है।
क्रीकेट का भगवान सचिन भी,
मलिहाबादी आम हुआ है।
जी हाँ 'सचिन' नाम का भी आम मलिहाबाद में तैयार हुआ है।
और लखनऊ कैसे शहरों का, जहाँ सड़कें खोद कर 'डीप सिवर' लाइन पड़ी है, एक सच -
डीप सिवर का काम हुआ है।
इसका-उसका नाम हुआ है।
हर  बारिश में शहर में देखो,
घंटों ट्रैफ़िक  जाम हुआ है।
--- वी. सी. राय 'नया'
ARE HUZUR ! ZAYQA BADALNE KE LIYE DEKHIYE -
KHAS BHI DEKHO AM HUA HAI.
AM KA KHANA AM HUA HAI.
CRICKET KA BHAGWAN 'SACHIN' BHI,
MALIHABADI AM HUA HAI.
AUR LUCKNOW JAISE SHAHROn KA, JAHAn SADKEn KHOD KAR DEAP SEWER PADI HAI, KA EK SACH -
DEEP SEWER KA KAM HUA HAI.
ISKA-USKA NAM HUA HAI.
HAR BARISH MEn SHAHR MEn DEKHO,
GHANTOn TRAFIK JAAM HUA HAI.
--- V. C. Rai 'Naya'


D

Ghazal Utar Gaye

तरही Nashisht 19 के लिए मेरी कोशिश  पेश है  -
---------------- ग़ज़ल -----------------  
आँखों की राह दिल में ज़ेहन में उतर गए।
नज़रें मिला के वो तो न जाने किधर गए।
हम ढूंढने उन्हें ही इधर से उधर गए।
नाकाम हो के दिल में ही अपने उतर गए।
गहराइयों में दिल की उतर के यही लगा,
मोती हमारे दोनों ही हाथों में भर गए।
सोचा चुनूँ मैं फूल तेरी ज़ुल्फ़ के लिए,
देखा कि सारे फूल ज़मीं पर बिखर गए।
जो ग़म की आग में हैं जले खाक हो गए,
जो आग में हैं ग़म की तपे वो निखर गए।
जीवन के रास्ते तो हैं फिसलन भरे हुए,
ग़ाफ़िल निकल गए हैं औ हुशियार गिर गए।
मशहूर फ़ाइलात में फ़ाइल हुइ जो गुम,       ( बह्र का एक 'नया' रूप ??? :)
बहरे-तरह को देख 'नया' हम तो डर गए।
---- वी. सी. राय 'नया'