Sunday, 9 September 2012

Ghazal Utar Gaye

तरही Nashisht 19 के लिए मेरी कोशिश  पेश है  -
---------------- ग़ज़ल -----------------  
आँखों की राह दिल में ज़ेहन में उतर गए।
नज़रें मिला के वो तो न जाने किधर गए।
हम ढूंढने उन्हें ही इधर से उधर गए।
नाकाम हो के दिल में ही अपने उतर गए।
गहराइयों में दिल की उतर के यही लगा,
मोती हमारे दोनों ही हाथों में भर गए।
सोचा चुनूँ मैं फूल तेरी ज़ुल्फ़ के लिए,
देखा कि सारे फूल ज़मीं पर बिखर गए।
जो ग़म की आग में हैं जले खाक हो गए,
जो आग में हैं ग़म की तपे वो निखर गए।
जीवन के रास्ते तो हैं फिसलन भरे हुए,
ग़ाफ़िल निकल गए हैं औ हुशियार गिर गए।
मशहूर फ़ाइलात में फ़ाइल हुइ जो गुम,       ( बह्र का एक 'नया' रूप ??? :)
बहरे-तरह को देख 'नया' हम तो डर गए।
---- वी. सी. राय 'नया'

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