FB के दोस्तों ! एक ग़ज़ल छोटी बह्र में देखिए -
--------- ग़ज़ल ---------
तेरे दर पर मै क्या बैठा।
जिसने देखा वो आ बैठा।
आँखें उनकी आईना हैं,
जिसने झाँका वो जा बैठा।
मैंने टेर पे टेर लगाई,
सुनता रहा वो बैठा-बैठा।
लाख संभल कर पाँव बढ़ाए,
फिर भी दिल ठोकर खा बैठा।
दिल ने उस की आँख को परखा,
और निशाने पर जा बैठा।
उसने ही दिल अक्सर तोड़ा,
जिसके सँग मै उट्ठा-बैठा।
गीत 'नया' तेरी महफ़िल में,
मै तो तेरा ही गा बैठा।
--- वी. सी. राय 'नया'
--------- ग़ज़ल ---------
तेरे दर पर मै क्या बैठा।
जिसने देखा वो आ बैठा।
आँखें उनकी आईना हैं,
जिसने झाँका वो जा बैठा।
मैंने टेर पे टेर लगाई,
सुनता रहा वो बैठा-बैठा।
लाख संभल कर पाँव बढ़ाए,
फिर भी दिल ठोकर खा बैठा।
दिल ने उस की आँख को परखा,
और निशाने पर जा बैठा।
उसने ही दिल अक्सर तोड़ा,
जिसके सँग मै उट्ठा-बैठा।
गीत 'नया' तेरी महफ़िल में,
मै तो तेरा ही गा बैठा।
--- वी. सी. राय 'नया'
No comments:
Post a Comment