हम-तुम के दोस्तों! बोलो न बोलो ग़ज़ल का नया रूप देख लीजिये -
----------------- ग़ज़ल -------------------
मैं पुकारूँगा तुम्हे हर श्वास में बोलो न बोलो।
जानता हूँ तुम ही मेरे पास में बोलो न बोलो।
हो न हो भूखा तुम्हारे द्वार पे बैठा है कोई,
बाल निकला है तुम्हारे ग्रास में बोलो न बोलो।
कहकहों में उड़ न पाएगी कभी मेरी कहानी,
बस गई हर एक के एहसास में बोलो न बोलो।
राम की पूजा तो की नानक ने काबा ने दिखाया,
सत्य केवल है अटल विश्वास में बोलो न बोलो।
ज़िन्दगी को इक 'नया' सन्दर्भ देती हैं हवाएँ,
बोलता हर अंग है मधुमास में बोलो न बोलो।
---- वी. सी. राय 'नया'
मुख़बिरी उसके इरादों की करेगा घूम कर अब,
सैटलाइट उसके ही आकाश में बोलो न बोलो।
----------------- ग़ज़ल -------------------
मैं पुकारूँगा तुम्हे हर श्वास में बोलो न बोलो।
जानता हूँ तुम ही मेरे पास में बोलो न बोलो।
हो न हो भूखा तुम्हारे द्वार पे बैठा है कोई,
बाल निकला है तुम्हारे ग्रास में बोलो न बोलो।
कहकहों में उड़ न पाएगी कभी मेरी कहानी,
बस गई हर एक के एहसास में बोलो न बोलो।
राम की पूजा तो की नानक ने काबा ने दिखाया,
सत्य केवल है अटल विश्वास में बोलो न बोलो।
ज़िन्दगी को इक 'नया' सन्दर्भ देती हैं हवाएँ,
बोलता हर अंग है मधुमास में बोलो न बोलो।
---- वी. सी. राय 'नया'
मुख़बिरी उसके इरादों की करेगा घूम कर अब,
सैटलाइट उसके ही आकाश में बोलो न बोलो।
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