दोस्तों! आप सबने 'शेर राजा' वाले शेर को नवाज़ कर 'likes' की सेंचुरी की, तहेदिल से शुक्रिया। लीजिये पेश है पूरी ग़ज़ल। उम्मीद है कि और शेर भी आपको पसंद आयेंगे।
---------------- ग़ज़ल ------------------
शह्र का हर रोग तेरे गाँव में आ जाएगा।
सब्र का दामन जो छोड़ा दाँव में आ जाएगा।
काट कर जंगल बढ़ा ली तुमने बस्ती तो मगर,
शेर राजा है, किसी दिन गाँव में आ जायेगा।
पेड़ बिन सोचे जो काटे, है ये उनकी बद्दुआ,
बाढ़ औ' सूखे के दोहरे दाँव में आ जाएगा।
बढ़ के बरगद की तरह बाँहों से भी पकड़ो ज़मीं,
धूप - बारिश से परीशाँ छाँव में आ जाएगा।
हौसला परवाज़ का हो आसमानों सा बुलंद,
आसमाँ खुद झुक के तेरे पाँव में आ जाएगा।
चाशनी कौवे को पीते देख कर आया ख्याल,
उसका मीठापन कभी तो काँव में आ जाएगा।
हुस्न की हर एक अदा ही शायरी है ऐ 'नया',
गीत बन कर कल ग़ज़ल की छाँव में आ जाएगा।
--- वी.सी. राय 'नया'
आज मुंबई में तेंदुए के आतंक के समाचार ने एक पुराना शेर याद दिलाया, जो पहले भी 2-3 बार चरितार्थ हुआ है। आप भी देंखें - (पूरी ग़ज़ल बाद में पोस्ट करूँगा।
काट कर जंगल बढ़ा ली तुमने बस्ती तो ज़रूर,
शेर राजा है, किसी दिन गाँव में आ जायेगा।
--- वी.सी. राय 'नया'
---------------- ग़ज़ल ------------------
शह्र का हर रोग तेरे गाँव में आ जाएगा।
सब्र का दामन जो छोड़ा दाँव में आ जाएगा।
काट कर जंगल बढ़ा ली तुमने बस्ती तो मगर,
शेर राजा है, किसी दिन गाँव में आ जायेगा।
पेड़ बिन सोचे जो काटे, है ये उनकी बद्दुआ,
बाढ़ औ' सूखे के दोहरे दाँव में आ जाएगा।
बढ़ के बरगद की तरह बाँहों से भी पकड़ो ज़मीं,
धूप - बारिश से परीशाँ छाँव में आ जाएगा।
हौसला परवाज़ का हो आसमानों सा बुलंद,
आसमाँ खुद झुक के तेरे पाँव में आ जाएगा।
चाशनी कौवे को पीते देख कर आया ख्याल,
उसका मीठापन कभी तो काँव में आ जाएगा।
हुस्न की हर एक अदा ही शायरी है ऐ 'नया',
गीत बन कर कल ग़ज़ल की छाँव में आ जाएगा।
--- वी.सी. राय 'नया'
आज मुंबई में तेंदुए के आतंक के समाचार ने एक पुराना शेर याद दिलाया, जो पहले भी 2-3 बार चरितार्थ हुआ है। आप भी देंखें - (पूरी ग़ज़ल बाद में पोस्ट करूँगा।
काट कर जंगल बढ़ा ली तुमने बस्ती तो ज़रूर,
शेर राजा है, किसी दिन गाँव में आ जायेगा।
--- वी.सी. राय 'नया'
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