FB के दोस्तो ! पेश है एक ताज़ा ग़ज़ल, जिसका मतला बहुत पहले मज़ाक में कहा था (फ़िल्मी गीत सुनकर)
---------------- ग़ज़ल -----------------
दिल चीज़ क्या है आप मेरा जान लीजिए।
सोना है ये कि ठीकरा , पहचान लीजिए।
सोने के भाव भी जो बिके दिल बाज़ार में,
मिट्टी के मोल ही वो गया मान लीजिए।
मुस्कान उसकी एक मिले गर जहान में,
फ़ौरन लपक के, दे के दिलो जान लीजिए।
जो है दोस्ती अज़ीज़ न हरगिज़ अज़ीज़े मन,
एहसान कीजिए औ' न एहसान लीजिए।
पहचानिए सिफ़त ये तबस्सुम की ऐ 'नया',
मुस्काइये औ' बदले में मुस्कान लीजिए।
--- वी. सी. राय 'नया'
---------------- ग़ज़ल -----------------
दिल चीज़ क्या है आप मेरा जान लीजिए।
सोना है ये कि ठीकरा , पहचान लीजिए।
सोने के भाव भी जो बिके दिल बाज़ार में,
मिट्टी के मोल ही वो गया मान लीजिए।
मुस्कान उसकी एक मिले गर जहान में,
फ़ौरन लपक के, दे के दिलो जान लीजिए।
जो है दोस्ती अज़ीज़ न हरगिज़ अज़ीज़े मन,
एहसान कीजिए औ' न एहसान लीजिए।
पहचानिए सिफ़त ये तबस्सुम की ऐ 'नया',
मुस्काइये औ' बदले में मुस्कान लीजिए।
--- वी. सी. राय 'नया'
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