Tuesday, 28 February 2012

Holi Greetings with a Hazal

--------- होली - हज़ल -----------
इश्क़  में जब दिल बुख़ारी हो गया।
आँसुओं का पम्प जारी हो गया।

उनको दीवानी बनाया फाग ने ,
केस ये तो फ़ौज़दारी हो गया।

उनकी आँखों से चलीं पिचकारियाँ,
मीठा - मीठा प्यार खारी हो गया।

दिल के टुकड़े करके फिर से जोड़ दे,
यार तो पूरा मदारी हो गया।
जिसको दुत्कारा हसीनों ने सदा,
वो बिचारा ब्रह्मचारी हो गया।
बात होली में करो मत होश की ,
रंग का रँग सब पे तारी हो गया। 

क्या करे तारीफ़ उस बुत की 'नया',
जिसने देखा वो पुजारी हो गया।
--- वी. सी. राय 'नया'

Saturday, 25 February 2012

With Greetings For Holi - Teen Kundaliyan

               मूर्ख - सम्मलेन 

एक

मूरख - मूरख हँसत हैं बिना बात दै ताल ,
चतुर मूर्ख खिसियाय के नोचत आपन बाल.
नोचत आपन बाल देखि बजवावौ ताली,
चतुर मूर्ख बनि ताली का समझत हैं गाली.
कह वी सी कविराय 'नया' देखो ये फ़ैशन,
कुरसी महामूर्ख की तबहू होत इलेक्शन .

दो 

मूरख - मूरख लड़त हैं कौन बड़ो औ छोट ,
चतुर मूर्ख ढूँढत फिरें मूरखता में खोट .
मूरखता में खोट कहे मूरख पहचानो ,
महामूर्ख का ताज उसी के सर पर जानो.
कह वी सी कविराय 'नया' देखा ये फ़ैशन, 
महामूर्ख कहलाय रहे देखो कितने जन.

तीन

मूरख - मूरख एक होउ सारे भेद बिसार,
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख सब होली में इस बार.
होली में इस बार रंग केसरिया छलके ,
गाओ हमारे साथ फाग सारे जन मिलके.
कह वी सी कविराय 'नया' मौसम यह बोला,
रँग लो आज हमारे साथ बसंती चोला.
    

Tuesday, 21 February 2012

Dohe ki bahr men ek ghazal

-------- बात की बात -------- 

मुक्तक

बात उठती है, बात चलती है .
बात बढ़ती है तो बिगडती है .
बात मानो न मानो, रख लो ज़रा,
बात रखने से बात बनती है .
----------- एक दोहा-ग़ज़ल ----------

तनहाई में जो हुई, तेरी - मेरी बात .
दुनिया को अपनी लगी, तेरी - मेरी बात .

आग का दरिया इश्क है , समझाए कोई और ,
माने ना दिल की लगी , तेरी - मेरी बात .

लैला - मजनू रोमियो , जुलियट राँझा - हीर ,
हर किस्सा झुठला रही , तेरी - मेरी बात .

मैं तो तेरी सब रखूँ , तू रक्खे न एक ,
यूँ कैसे बन पाएगी , तेरी - मेरी बात .

मैंने तेरी एक रखी, तुने मेरी एक ,
दो बातों में बन गई , तेरी - मेरी बात .

--- वी. सी. राय 'नया'  

Friday, 17 February 2012

LUCKY EWS

EWS that is Economically Weaker Sections are now quite lucky as the State and the State of Commerce (Read Builders or Colonizers) is bringing the State Of Art, World Class grandeur of
  •  Living with 100% Power Back-up; 24x7 Security; Recreational Club; Swimming Pool; Mini Golf Course; Etc. etc.
  • Education of Children in Airconditioned Class Rooms and Gym; Horse Riding; Foreign Excurtion   Trips; Etc. etc.
  • Medical Treatment in costliest private hospitals besides government hospitals
All Free or at Nominal cost For YOU under special quota for EWS. After all, EVS, that is Economically   Very Strong people do need Servants, Maid Servants, Vehicle Cleaners, Press Walas etc. etc. etc. in the neighbourhood.

Wednesday, 15 February 2012

Ghazal Ane Laga

 ग़ज़ल 

वो मेरे नज़दीक से नज़दीक तर आने लगा .
फ़ासला जब दरमियाँ मुझको नज़र आने लगा .

उसके दर जाने की कूवत जब नहीं मुझमें रही ,
बेतकल्लुफ़ होके वो ही मेरे घर आने लगा .

भूल से इक बार उसको याद जब दिल ने किया ,
क्या करिश्मा याद वो आठो पहर आने लगा .

उसकी महफ़िल में कोई शामिल हो कब उसने कहा ,
ये उसी की शक्सियत है हर बशर आने लगा .

उसकी बातों में 'नया' है प्यार की ख़ुशबू छिपी ,
मैंने पहचानी तो लहजे में असर आने लगा .

-- वी. सी. राय 'नया' --

Tuesday, 7 February 2012

GHAZAL Mukhtasar

एक शेर की एक मुख़्तसर सी ग़ज़ल देखिए जिसमे मतले बस चार हैं -
-------------- ग़ज़ल ---------------
चार दिन की मिली ज़िन्दगी मुख़्तसर , 
चार कन्धों पे ख़त्म होगा इसका सफ़र। 

कल थे आए कहाँ से नहीं कुछ ख़बर,
और चले जाएंगे कल न जाने किधर।

यूँ ही चलता रहूँगा सफ़र-दर-सफ़र, 
जब तलक पड़ न जाए करम की नज़र। 

मेरा थकने का गिरने का मिट जाए डर,
हाथ पकड़ो मेरा और बनो हमसफ़र। 

कुछ भला कर चलो, कुछ भला कह चलो,
सोचता ही रहा मैं 'नया' उम्र भर। 

---- वी. सी. राय 'नया'