ग़ज़ल
वो मेरे नज़दीक से नज़दीक तर आने लगा .
फ़ासला जब दरमियाँ मुझको नज़र आने लगा .
उसके दर जाने की कूवत जब नहीं मुझमें रही ,
बेतकल्लुफ़ होके वो ही मेरे घर आने लगा .
भूल से इक बार उसको याद जब दिल ने किया ,
क्या करिश्मा याद वो आठो पहर आने लगा .
उसकी महफ़िल में कोई शामिल हो कब उसने कहा ,
ये उसी की शक्सियत है हर बशर आने लगा .
उसकी बातों में 'नया' है प्यार की ख़ुशबू छिपी ,
मैंने पहचानी तो लहजे में असर आने लगा .
-- वी. सी. राय 'नया' --
वो मेरे नज़दीक से नज़दीक तर आने लगा .
फ़ासला जब दरमियाँ मुझको नज़र आने लगा .
उसके दर जाने की कूवत जब नहीं मुझमें रही ,
बेतकल्लुफ़ होके वो ही मेरे घर आने लगा .
भूल से इक बार उसको याद जब दिल ने किया ,
क्या करिश्मा याद वो आठो पहर आने लगा .
उसकी महफ़िल में कोई शामिल हो कब उसने कहा ,
ये उसी की शक्सियत है हर बशर आने लगा .
उसकी बातों में 'नया' है प्यार की ख़ुशबू छिपी ,
मैंने पहचानी तो लहजे में असर आने लगा .
-- वी. सी. राय 'नया' --
No comments:
Post a Comment