क़ौमी एकता व सर्वधर्म समभाव को समर्पित रचना -
------------------ हिन्दुस्तानी --------------------
------------------ हिन्दुस्तानी --------------------
गर्व है हिन्दुस्तानी हैं हम एक ही ईश्वर की संतान।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब मिल कर हैं हिंदुस्तान।
मज़हब सिर्फ मुहब्बत बांटे मिलकर बैठे जब इंसान।
आपस में हमको बंटवाता अपने दिल का ही शैतान।
गिरजे में बाइबिल पढ़ देखो या फिर मज्जिद में कुरआन।
गुरूद्वारे की गुरबानी में सुन लो सारे वेद पुरान।
आबे ज़म-ज़म और अमृतसर हैं सारे 'होली वाटर',
श्रद्धा की दुबकी में कर लो घर बैठे गंगा स्नान।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में भाई-भाई,
भाई-भाई को लडवाता राजनीति का ही मैदान ।
ईश्वर अल्ला नाम उसी के, उसके पैग़म्बर है राम,
यीशु मसीह,मोहम्मद साहेब,गुरु नानक जैसे इंसान।
छोटा-बड़ा न कोई यहाँ पर, सब के हक हैं एक समान,
सबको रोटी, सबको कारज देता अपना संविधान।
मिलकर बैठो, सुख-दुख बांटो , बाँट के खाओ जो भी मिले,
माँ का आँचल रहे तिरंगा, मत होने दो लहुलुहान।
----- वी. सी. राय 'नया'