Tuesday, 18 December 2012

Zarurat

ज़रूरत
कुछ धार्मिक स्थानों, स्कूलों व अस्पतालों में अक्सर लिखा मिलता है -
" बोझ से दबे हुए, थके-माँदे लोगो! मेरे पास आओ। मैं तुम्हें विश्राम दूँगा। "
मेरा आह्वान - "विश्राम करते हुए तथा ज़िन्दगी की कठिनाइयों से जूझते हुए लोगो! सभी मेरे साथ गाओ -
ज़िन्दगी कितनी खुबसूरत है।
बस इसी सोच की ज़रूरत है।
--- वी. सी. राय 'नया'

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