एकदम ताज़ा ग़ज़ल आपके सुझावों के लिए हाज़िर है। PL. SCRAWL DOWN for ROMAN.
------------ ग़ज़ल ------------
कभी नैन तरसे, कभी नैन बरसे।
मुहब्बत छुपाते ज़माने के डर से।
घटा ज़ुल्फ़, बिजली गिराती सी आँखें,
उन्हीं में उलझ के मिरे नैन बरसे।
वहाँ जो भी जाए, यकीं रख के जाए,
न लौटेगा ख़ाली कभी उसके दर से।
ज़मीं पर ही दोनों हैं जन्नत-जहन्नुम,
ये मानो, या सुन लो इधर से उधर से।
तुही ख़ैर रक्खे तभी रह सकेगी,
बुजुर्गों का साया उठा मेरे सर से।
बुज़ुर्गी के अब तो बड़े फ़ायदे हैं,
मिले छूट रेलों में औ' आयकर से।
'नया' तैरना अब सिखा देगा तुझको,
ये पानी जो ऊँचा हुआ अपने सर से।
--- वी. सी. राय 'नया'
Kabhi nain tarse, kabhi nain barse.
Muhabbat chipate zamane ke dar se.
Ghata zulf, bijli girati si aankhen,
Unhi me ulajh ke mere nain barse.
Vahan jo bhi jaye, yaqin rakh ke jaye,
N lautega khali kabhi uske dar se.
Zamin par hi dono hain jannat-jahannum,
Ye mano ya sun lo idhar se udhar se.
Tuhi khair rakkhe tabhi rah sakegi,
Buzurgon ka saya utha mere sar se.
Buzurgi ke ab to bade fayde hain,
Mile chhoot relon me aur aykar se.
'Naya' tairna ab sikha dega tujhko,
Ye pani jo uncha hua apne sar se.
--- V. C. Rai 'Naya'
------------ ग़ज़ल ------------
कभी नैन तरसे, कभी नैन बरसे।
मुहब्बत छुपाते ज़माने के डर से।
घटा ज़ुल्फ़, बिजली गिराती सी आँखें,
उन्हीं में उलझ के मिरे नैन बरसे।
वहाँ जो भी जाए, यकीं रख के जाए,
न लौटेगा ख़ाली कभी उसके दर से।
ज़मीं पर ही दोनों हैं जन्नत-जहन्नुम,
ये मानो, या सुन लो इधर से उधर से।
तुही ख़ैर रक्खे तभी रह सकेगी,
बुजुर्गों का साया उठा मेरे सर से।
बुज़ुर्गी के अब तो बड़े फ़ायदे हैं,
मिले छूट रेलों में औ' आयकर से।
'नया' तैरना अब सिखा देगा तुझको,
ये पानी जो ऊँचा हुआ अपने सर से।
--- वी. सी. राय 'नया'
Kabhi nain tarse, kabhi nain barse.
Muhabbat chipate zamane ke dar se.
Ghata zulf, bijli girati si aankhen,
Unhi me ulajh ke mere nain barse.
Vahan jo bhi jaye, yaqin rakh ke jaye,
N lautega khali kabhi uske dar se.
Zamin par hi dono hain jannat-jahannum,
Ye mano ya sun lo idhar se udhar se.
Tuhi khair rakkhe tabhi rah sakegi,
Buzurgon ka saya utha mere sar se.
Buzurgi ke ab to bade fayde hain,
Mile chhoot relon me aur aykar se.
'Naya' tairna ab sikha dega tujhko,
Ye pani jo uncha hua apne sar se.
--- V. C. Rai 'Naya'
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