FB के मित्रो ! एक तरही ग़ज़ल सादर प्रस्तुत है। तरह मिसरा था मेरे उस्ताद, मोहतरम कृष्ण बिहारी 'नूर' साहब का मशहूर "आइना झूट बोलता ही नहीं "। Pl scrawl dawn for ROMAN version.
------------ ग़ज़ल ------------
वो ज़ुबाँ अपनी खोलता ही नहीं।
ये नहीं है कि बोलता ही नहीं।
हर अदा उसकी कुछ तो है कहती,
तू मगर आँख खोलता ही नहीं।
जितना तुम दोगे उतना पाओगे,
कम ज़ियादा वो तोलता ही नहीं।
वो चमन की बहार क्या जाने,
जो दरीचों को खोलता ही नहीं।
बंद आँखें तराज़ू हाथ में है,
वो मगर कुछ भी तोलता ही नहीं।
जब युधिष्ठिर भी सच पे टिक न सके,
आइना सच से डोलता ही नहीं।
क्यों न हो कड़वी तेरी बात 'नया',
झूठ तू इसमें घोलता ही नहीं।
--- वी. सी. राय 'नया'
Wo Zuba'n apni kholta hi nahi.
Ye nahi hai ki bolta hi nahi.
Har ada uski kuchh to hai kahti,
Tu magar ankh kholta hi nahi.
Jitna tum doge utna paoge,
Kam ziyada wo tolta hi nahi.
Wo chaman ki bahar kya jane,
Jo darichon ko kholta hi nahi.
Band ankhen tarazu hath me hai,
Wo magar kuchh bhi tolta hi nahi.
Jab Yudhishthir bhi sach pe tik n sake,
Aina sach se dolta hi nahi.
Kyon n kadvi ho teri bat 'Naya',
Jhut tu isme gholta hi nahi.
--- V.C. Rai 'Naya'
------------ ग़ज़ल ------------
वो ज़ुबाँ अपनी खोलता ही नहीं।
ये नहीं है कि बोलता ही नहीं।
हर अदा उसकी कुछ तो है कहती,
तू मगर आँख खोलता ही नहीं।
जितना तुम दोगे उतना पाओगे,
कम ज़ियादा वो तोलता ही नहीं।
वो चमन की बहार क्या जाने,
जो दरीचों को खोलता ही नहीं।
बंद आँखें तराज़ू हाथ में है,
वो मगर कुछ भी तोलता ही नहीं।
जब युधिष्ठिर भी सच पे टिक न सके,
आइना सच से डोलता ही नहीं।
क्यों न हो कड़वी तेरी बात 'नया',
झूठ तू इसमें घोलता ही नहीं।
--- वी. सी. राय 'नया'
Wo Zuba'n apni kholta hi nahi.
Ye nahi hai ki bolta hi nahi.
Har ada uski kuchh to hai kahti,
Tu magar ankh kholta hi nahi.
Jitna tum doge utna paoge,
Kam ziyada wo tolta hi nahi.
Wo chaman ki bahar kya jane,
Jo darichon ko kholta hi nahi.
Band ankhen tarazu hath me hai,
Wo magar kuchh bhi tolta hi nahi.
Jab Yudhishthir bhi sach pe tik n sake,
Aina sach se dolta hi nahi.
Kyon n kadvi ho teri bat 'Naya',
Jhut tu isme gholta hi nahi.
--- V.C. Rai 'Naya'
- Dipty Poddar-Mehta बंद आँखें तराज़ू हाथ में है,
वो मगर कुछ भी तोलता ही नहीं।
क्यों न हो कड़वी तेरी बात 'नया',
झूठ तू इसमें घोलता ही नहीं।.......bahut Umdaaa.... - Manish Kothari जितना तुम दोगे उतना पाओगे,
कम ज़ियादा वो तोलता ही नहीं।
वो चमन की बहार क्या जाने,
जो दरीचों को खोलता ही नहीं।
बंद आँखें तराज़ू हाथ में है,
वो मगर कुछ भी तोलता ही नहीं। ... Bahut Khoooob... - Virendra Rai Bahut bahut dhanyawad Bhaiyon - Bhavesh Sharma, Manish Kothari, भूषण लाम्बा, Mukesh Srivastava v Vijay Tiwari aur bahen Dipty Poddar-Mehta. Khushi hai ki yeh ghazal ap sabko pasand ayee aur is qabil lagi.
- Virendra Rai 'Like' karne wale anya mitron - Garvi Gujaratan, Abhijeet Sahu, 'Farhat Khan', Prasoon Mehta, Arif Mohd v Udai Bhanu Pande ko bhi bahut bahut dhanyavad.
- Virendra Rai Kunj Sharma ji! Bahut-bahut dhanyavad. Kabhi ek sher kaha tha - "Aina-e-dil me teri tasveer to basi / Ik baal a gaya hai,hatane ke liye A"
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