-------- ग़ज़ल --------
आया मौसम फूलों का।
कजरी का औ' झूलों का।
फूलों को जो बींध रहे,
नाम बता उन शूलों का।
मान सदा खुशबू का है,
कब होता है फूलों का ?
अपना रिश्ता तो जैसे,
नदिया के दो कूलों का।
याद करूँ मैं तुझको ही,
दंड मिला किन भूलों का ?
साँस नचाती है ढाँचा,
हिलती-डुलती चूलों का।
पौधा कोइ 'नया' रोपो,
नाम अमन हो फूलों का।
--- वी.सी. राय 'नया'
आया मौसम फूलों का।
कजरी का औ' झूलों का।
फूलों को जो बींध रहे,
नाम बता उन शूलों का।
मान सदा खुशबू का है,
कब होता है फूलों का ?
अपना रिश्ता तो जैसे,
नदिया के दो कूलों का।
याद करूँ मैं तुझको ही,
दंड मिला किन भूलों का ?
साँस नचाती है ढाँचा,
हिलती-डुलती चूलों का।
पौधा कोइ 'नया' रोपो,
नाम अमन हो फूलों का।
--- वी.सी. राय 'नया'
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